Friday 28 October 2011

RANVIR






ALIVE

मैं जिंदा हूँ. मैं जिंदा हूँ. अन्याय का खिलाफत मैं कर नहीं पाता. कुशासन-सुशासन का फर्क समझ नहीं पाता. प्रदूषित हवा में सांस लेता हूँ. पर मैं जिंदा हूँ .............................:):):):):):):):)